Sadhvi Ritambhara Biography in Hindi: 26 जनवरी 2025 को, भारत सरकार ने साध्वी ऋतंभरा को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया। यह पुरस्कार उनके सामाजिक योगदान और आध्यात्मिक जागरूकता में दिए गए उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया गया। आइए साध्वी ऋतंभरा के जीवन और उनके असाधारण कार्यों पर विस्तार से चर्चा करें।
Sadhvi Ritambhara Biography in Hindi: साध्वी ऋतंभरा की जीवनी
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
साध्वी ऋतंभरा का जन्म 31 दिसंबर 1963 को पंजाब के लुधियाना जिले के दोराहा कस्बे में हुआ। उनका जन्म नाम “निशा” था। मात्र 16 वर्ष की आयु में, उन्होंने स्वामी परमानंद से दीक्षा ग्रहण की और उनके शिष्य के रूप में आध्यात्मिक मार्ग पर चल पड़ीं। हरिद्वार में स्वामी परमानंद के आश्रम में रहने के दौरान उन्होंने भारतीय संस्कृति और अध्यात्म में गहराई से शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद, वे स्वामी परमानंद के साथ पूरे भारत में यात्रा पर रहीं और समाज में अध्यात्म का प्रसार किया।
साध्वी ऋतंभरा का आध्यात्मिक सफर
साध्वी ऋतंभरा ने अपने जीवन को सन्यास और आध्यात्मिकता के प्रति समर्पित किया। वे विश्व हिंदू परिषद (VHP) से जुड़ीं और मार्गदर्शक मंडल की सदस्य बनीं। उन्होंने भारतीय समाज में रामायण और भगवद्गीता के संदेशों को प्रचारित किया और समाज को एकजुट करने का प्रयास किया। उनकी ओजस्वी वाणी और गहराई से प्रभावित करने वाली उपदेश शैली ने उन्हें जन-जन का प्रिय बना दिया।
राम मंदिर आंदोलन में भूमिका
1990 के दशक में साध्वी ऋतंभरा ने राम मंदिर आंदोलन में एक प्रमुख भूमिका निभाई। उनके ओजस्वी और भावनात्मक भाषणों ने समाज के विभिन्न वर्गों को हिंदू एकता के लिए प्रेरित किया। 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय वे वहां मौजूद थीं और अपनी ऊर्जा से आंदोलनकारियों को उत्साहित कर रही थीं। हालांकि, इस घटना के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और लिब्राहन आयोग की रिपोर्ट में उन्हें आरोपियों की सूची में शामिल किया गया।
2020 में, सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें और अन्य आरोपियों को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में निर्दोष घोषित कर दिया।
सामाजिक और आध्यात्मिक योगदान

साध्वी ऋतंभरा ने केवल धार्मिक आंदोलन तक ही अपनी भूमिका सीमित नहीं रखी, बल्कि समाज कल्याण के क्षेत्र में भी अद्वितीय कार्य किए। उन्होंने 2002 में उत्तर प्रदेश के मथुरा-वृंदावन क्षेत्र में “वात्सल्य ग्राम” की स्थापना की। यह आश्रम अनाथ बच्चों, विधवाओं और बुजुर्गों के लिए एक परिवार जैसा माहौल प्रदान करता है। वात्सल्य ग्राम में बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शिक्षा, कराटे, घुड़सवारी और हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी दी जाती है।
उनके प्रयासों का उद्देश्य महिलाओं और बच्चों को उनके पारंपरिक सामाजिक दायरे से बाहर निकालकर आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना है। इसके अलावा, उन्होंने दिल्ली, इंदौर और हिमाचल प्रदेश में भी अनाथालय और आश्रम स्थापित किए।
विवादों और चुनौतियों का सामना
साध्वी ऋतंभरा का जीवन विवादों से अछूता नहीं रहा। 1995 में, उन्होंने इंदौर में एक जनसभा में ईसाई मिशनरियों के धर्मांतरण प्रयासों के खिलाफ भाषण दिया। इस भाषण के बाद राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के आदेश पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इस घटना के बाद भी वे अपने उद्देश्यों से विचलित नहीं हुईं।
2022 में, न्यू जर्सी के एक चर्च ने उनकी यात्रा का विरोध किया, लेकिन उनके आध्यात्मिक अनुयायियों के समर्थन से वे अपने कार्यों को जारी रखती रहीं।
वात्सल्य ग्राम और अन्य पहल
वात्सल्य ग्राम की स्थापना साध्वी ऋतंभरा का समाज को एक अनूठा तोहफा है। इस आश्रम की अवधारणा एक परिवार आधारित मॉडल पर आधारित है, जहां अनाथ बच्चे, विधवाएं और बुजुर्ग एक साथ रहते हैं और एक-दूसरे का सहारा बनते हैं।
इसके अलावा, साध्वी ऋतंभरा रामकथा और श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से लोगों को आध्यात्मिक जागरूकता और भारतीय संस्कृति से जोड़ने का प्रयास करती हैं।
राजनीतिक प्रभाव और भाषण शैली
साध्वी ऋतंभरा की भाषण शैली ने 1989 और 1991 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए एक बड़ा समर्थन जुटाने में मदद की। उनके ओजस्वी भाषणों में राष्ट्रीयता, हिंदुत्व और राम मंदिर आंदोलन के प्रति जनता को जागरूक करने की शक्ति थी। उनके भाषण कैसेट्स 1990 के दशक में गांव-गांव में सुने जाते थे।
उनके प्रसिद्ध नारे, जैसे “हम दो, हमारे दो, बांग्लादेशी को आने दो” ने उनके विरोधियों को भी आकर्षित किया। उनका करिश्माई व्यक्तित्व और भावनात्मक अपील राजनीतिक मंच पर अद्वितीय थी।
सम्मान और उपलब्धियां
26 जनवरी 2025 को, साध्वी ऋतंभरा को भारत सरकार ने पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया। यह पुरस्कार उनके सामाजिक, धार्मिक और आध्यात्मिक योगदान के लिए प्रदान किया गया।
उनके 60वें जन्मदिन पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने वृंदावन में उनके राम मंदिर आंदोलन के योगदान पर आधारित एक पुस्तक का विमोचन किया। जनवरी 2024 में अयोध्या के राम मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह में भी उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई।
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निष्कर्ष: Sadhvi Ritambhara Biography in Hindi
साध्वी ऋतंभरा न केवल एक आध्यात्मिक गुरु हैं, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत भी हैं। उनका जीवन संघर्ष, सेवा और समाज के उत्थान के लिए समर्पण का प्रतीक है। उनकी नेतृत्व क्षमता और कार्यों ने उन्हें न केवल धार्मिक आंदोलन का प्रमुख चेहरा बनाया, बल्कि समाज कल्याण के क्षेत्र में भी एक अनूठा स्थान दिलाया।
साध्वी ऋतंभरा, जिन्हें अब “दीदी मां” के नाम से जाना जाता है, आज भी अपने लाखों अनुयायियों के साथ समाज में प्रेम, करुणा और सेवा का संदेश फैला रही हैं।
साध्वी ऋतंभरा: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs): Sadhvi Ritambhara Biography in Hindi
1. साध्वी ऋतंभरा (Sadhvi Ritambhara) कौन हैं?
साध्वी ऋतंभरा एक प्रमुख आध्यात्मिक गुरु, समाजसेवी और वक्ता हैं, जो भारतीय संस्कृति, हिंदुत्व और सामाजिक कल्याण के लिए काम करती हैं। वे राम मंदिर आंदोलन में अपनी भूमिका और “वात्सल्य ग्राम” जैसी समाजसेवा की परियोजनाओं के लिए प्रसिद्ध हैं।
2. साध्वी ऋतंभरा का जन्म कब और कहां हुआ?
साध्वी ऋतंभरा का जन्म 31 दिसंबर 1963 को पंजाब के लुधियाना जिले के दोराहा कस्बे में हुआ।
3. साध्वी ऋतंभरा का वास्तविक नाम क्या है?
साध्वी ऋतंभरा का जन्म नाम “निशा” था।
4. साध्वी ऋतंभरा को पद्म भूषण कब और क्यों मिला?
भारत सरकार ने 26 जनवरी 2025 को साध्वी ऋतंभरा को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया। यह पुरस्कार उन्हें उनके सामाजिक और आध्यात्मिक योगदान के लिए दिया गया।
5. “वात्सल्य ग्राम” क्या है और इसकी स्थापना कब हुई?
वात्सल्य ग्राम मथुरा-वृंदावन में स्थित एक आश्रम है, जिसे साध्वी ऋतंभरा ने 2002 में स्थापित किया। इसका उद्देश्य अनाथ बच्चों, विधवाओं और बुजुर्गों को एक परिवार जैसा माहौल प्रदान करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।
6. साध्वी ऋतंभरा राम मंदिर आंदोलन में किस प्रकार जुड़ी थीं?
साध्वी ऋतंभरा ने 1990 के दशक में राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। उनके ओजस्वी और प्रेरणादायक भाषणों ने हिंदू समाज को एकजुट करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
7. साध्वी ऋतंभरा का मुख्य कार्यक्षेत्र क्या है?
साध्वी ऋतंभरा का मुख्य कार्यक्षेत्र आध्यात्मिक शिक्षा, समाजसेवा, और भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार है। वे अनाथ बच्चों और महिलाओं के उत्थान के लिए काम करती हैं।
8. साध्वी ऋतंभरा का समाज के प्रति सबसे बड़ा योगदान क्या है?
साध्वी ऋतंभरा का सबसे बड़ा योगदान “वात्सल्य ग्राम” की स्थापना है, जहां वे अनाथ बच्चों, विधवाओं और बुजुर्गों को एक सुरक्षित और आत्मनिर्भर जीवन प्रदान करती हैं। इसके अलावा, वे रामायण, भगवद्गीता और रामकथा के माध्यम से समाज में आध्यात्मिक जागरूकता फैलाती हैं।
9. साध्वी ऋतंभरा को किस नाम से जाना जाता है?
साध्वी ऋतंभरा को उनके अनुयायियों द्वारा “दीदी मां” के नाम से जाना जाता है।
10. साध्वी ऋतंभरा के भाषण किस बात के लिए प्रसिद्ध हैं?
साध्वी ऋतंभरा के भाषण अपनी ओजस्वी शैली, भावनात्मक अपील और राष्ट्रीयता व हिंदुत्व के प्रचार के लिए प्रसिद्ध हैं।
11. साध्वी ऋतंभरा ने समाज सेवा के लिए और क्या पहल की हैं?
साध्वी ऋतंभरा ने दिल्ली, इंदौर और हिमाचल प्रदेश में अनाथालय और आश्रम स्थापित किए हैं। उनके संस्थानों में शिक्षा, खेल, और आत्मनिर्भरता की ट्रेनिंग दी जाती है।
12. साध्वी ऋतंभरा से संबंधित सबसे बड़ी विवादित घटना कौन सी है?
1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय साध्वी ऋतंभरा वहां मौजूद थीं और उनके भाषणों के कारण उन्हें विवादों का सामना करना पड़ा। हालांकि, 2020 में विशेष अदालत ने उन्हें निर्दोष घोषित कर दिया।
13. साध्वी ऋतंभरा से कैसे संपर्क किया जा सकता है?
साध्वी ऋतंभरा से संपर्क करने के लिए उनके आश्रम “वात्सल्य ग्राम” की आधिकारिक वेबसाइट या आश्रम का पता और फोन नंबर देखा जा सकता है।
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