Sharda Sinha Biography in Hindi: बिहार की कोकिला, डॉ. शारदा सिन्हा का जीवन परिचय

Sharda Sinha Biography in Hindi: 26 जनवरी 2025 को भारत सरकार ने प्रसिद्ध लोकगायिका शारदा सिन्हा को मरणोपरांत पद्म विभूषण, देश का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, प्रदान किया। यह सम्मान उन्हें भारतीय लोक संगीत को संरक्षित और प्रचारित करने में उनके अतुलनीय योगदान के लिए दिया गया। शारदा सिन्हा न केवल बिहार की पहचान थीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर की प्रतीक थीं। उनके गीतों ने बिहार की पारंपरिक लोक संस्कृति को देश-विदेश में पहचान दिलाई। आइए, उनके जीवन और उपलब्धियों पर एक विस्तृत दृष्टि डालते हैं।

Table of Contents

Sharda Sinha Biography in Hindi: बिहार की कोकिला, डॉ. शारदा सिन्हा का जीवन परिचय

प्रारंभिक जीवन

जन्म और परिवार
शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव में हुआ। उनका परिवार भूमिहार ब्राह्मण समुदाय से था। उनके पिता का नाम सुखदेव ठाकुर था और वे अपने नौ भाई-बहनों में इकलौती बहन थीं। उनके ससुराल का गांव बेगूसराय जिले के सिहमा में स्थित है।

शारदा सिन्हा का बचपन से ही संगीत की ओर रुझान था। बिहार की समृद्ध लोकसंस्कृति ने उनके जीवन और संगीत पर गहरा प्रभाव डाला।

शारदा सिन्हा का संगीत सफर

संगीत की शुरुआत
शारदा सिन्हा ने अपने संगीत करियर की शुरुआत मैथिली लोकगीत गाने से की। उनकी सुरीली आवाज और गीतों में छिपी लोकसंस्कृति ने उन्हें बिहार और देशभर में प्रसिद्ध कर दिया।

मैथिली और भोजपुरी गीत

शारदा सिन्हा ने मुख्य रूप से मैथिली, भोजपुरी और मगही भाषाओं में गीत गाए। उनके गीत “विवाह गीत” और “छठ गीत” बिहार की सांस्कृतिक परंपराओं के प्रतीक बन गए। उनके गानों ने न केवल शादियों और त्योहारों को खास बनाया, बल्कि लोगों के दिलों में स्थायी स्थान बनाया।

हिंदी फिल्मों में योगदान

शारदा सिन्हा ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा। उनके कुछ प्रसिद्ध फिल्मी गाने हैं:

  • “काहे तो से सजना” – फिल्म मैंने प्यार किया
  • “तार बिजली” – फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर पार्ट 2
  • “कौन सी नगरीया” – फिल्म चैरफुटिया छोकरे
  • “तारे जमीं पे” – फिल्म देसवा

छठ गीतों में योगदान

छठ पूजा के गीतों में शारदा सिन्हा का योगदान अतुलनीय है। उनके छठ गीत आज भी हर साल इस महापर्व पर गूंजते हैं। उनके लोकप्रिय छठ गीतों में शामिल हैं:

  • “सुपवो ना मिले माई”
  • “पहिले-पहिले छठी मैया”
  • “केलवा के पात पर उगेलन सूरज”
  • “पटना के घाट पर”
  • “बहंगी लचकत जाए”

शारदा सिन्हा का कहना था कि “मैंने अपने गीतों के माध्यम से हमारी समृद्ध परंपराओं को बचाने की पूरी कोशिश की है।”

अंतरराष्ट्रीय प्रस्तुतियां

शारदा सिन्हा ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रस्तुतियां दीं। उन्होंने दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित “बिहार उत्सव 2010” और प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम की बिहार यात्रा के दौरान अपने गीत प्रस्तुत किए।

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व्यक्तिगत जीवन

परिवार और विवाह
1970 में शारदा सिन्हा का विवाह ब्रजकिशोर सिन्हा से हुआ। उनके दो बच्चे हैं – बेटा अंशुमान और बेटी वंदना

Sharda Sinha Biography in Hindi: बिहार की कोकिला, डॉ. शारदा सिन्हा का जीवन परिचय

बीमारी और निधन
2017 में शारदा सिन्हा को मल्टीपल मायलोमा नामक गंभीर बीमारी का पता चला। सितंबर 2024 में उनके पति ब्रजकिशोर का निधन हो गया, जिसने उन्हें गहरा आघात पहुंचाया।
5 नवंबर 2024 को, शारदा सिन्हा को दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया। उसी रात, 72 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। 7 नवंबर 2024 को पटना में पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।

सम्मान और उपलब्धियां

शारदा सिन्हा को उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

पुरस्कारवर्षयोगदान के लिए
पद्म श्री1991भारतीय संगीत में योगदान
संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार2000लोकसंगीत में उत्कृष्टता
पद्म भूषण2018भारतीय लोक संस्कृति के संरक्षण में योगदान
पद्म विभूषण (मरणोपरांत)2025लोक संगीत और सामाजिक योगदान

विरासत

शारदा सिन्हा का संगीत उनकी विरासत है। उन्होंने 62 छठ गीत और नौ एल्बम रिकॉर्ड किए। उनके गीत आज भी हर त्योहार, शादी और पर्व पर सुने जाते हैं। उनके संगीत ने न केवल पुरानी परंपराओं को संरक्षित किया बल्कि नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का काम किया।

उनके शब्दों में:
“हमारे लोकगीत हमारे समाज का आईना हैं। इन्हें संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है।”

निष्कर्ष (Sharda Sinha Biography in Hindi)

शारदा सिन्हा सिर्फ एक गायिका नहीं थीं, वे बिहार की सांस्कृतिक धरोहर की जीवंत प्रतिमा थीं। उनके गीतों ने लोकसंगीत को न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलाई। उनकी आवाज़ हमेशा हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा रहेगी।

बिहार की कोकिला शारदा सिन्हा को शत-शत नमन।

शारदा सिन्हा से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs): Sharda Sinha Biography in Hindi

1. शारदा सिन्हा कौन थीं?

शारदा सिन्हा भारत की प्रसिद्ध लोकगायिका थीं। उन्हें “बिहार की कोकिला” कहा जाता है। उन्होंने मैथिली, भोजपुरी और मगही लोकगीतों के माध्यम से भारतीय लोकसंगीत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

2. शारदा सिन्हा का जन्म कब और कहां हुआ?

शारदा सिन्हा का जन्म 1 अक्टूबर 1952 को बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव में हुआ था।

3. शारदा सिन्हा को कौन-कौन से पुरस्कार मिले?

शारदा सिन्हा को कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले, जिनमें शामिल हैं:
पद्म श्री (1991)
संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (2000)
पद्म भूषण (2018)
पद्म विभूषण (2025, मरणोपरांत)

4. शारदा सिन्हा के प्रसिद्ध गीत कौन-कौन से हैं?

शारदा सिन्हा के कई प्रसिद्ध गीत हैं, जिनमें शामिल हैं:
“काहे तो से सजना” (मैंने प्यार किया फिल्म)
“तार बिजली” (गैंग्स ऑफ वासेपुर पार्ट 2)
“सुपवो ना मिले माई”
“पहिले-पहिले छठी मैया”
“पटना के घाट पर”

5. शारदा सिन्हा ने कौन-कौन सी भाषाओं में गाने गाए?

शारदा सिन्हा ने मैथिली, भोजपुरी, मगही और हिंदी भाषाओं में गाने गाए।

6. शारदा सिन्हा को “बिहार की कोकिला” क्यों कहा जाता है?

शारदा सिन्हा ने बिहार की लोकसंस्कृति और परंपराओं को अपने गीतों के माध्यम से जीवंत किया। उनकी मधुर आवाज़ और लोकगीतों में छिपी परंपराओं ने उन्हें “बिहार की कोकिला” का खिताब दिलाया।

7. शारदा सिन्हा के छठ गीतों का क्या महत्व है?

शारदा सिन्हा के छठ गीत छठ पूजा की संस्कृति और परंपरा को दर्शाते हैं। उनके गीत हर साल छठ पर्व पर गाए जाते हैं और पूरे भारत में छठ पूजा का अभिन्न हिस्सा हैं।

8. शारदा सिन्हा की मृत्यु कब और कैसे हुई?

शारदा सिन्हा का निधन 5 नवंबर 2024 को दिल्ली के एम्स अस्पताल में हुआ। वे 2017 से मल्टीपल मायलोमा नामक बीमारी से पीड़ित थीं।

9. क्या शारदा सिन्हा ने हिंदी फिल्मों में भी काम किया है?

हाँ, शारदा सिन्हा ने कई हिंदी फिल्मों में गाने गाए हैं, जिनमें “काहे तो से सजना” (मैंने प्यार किया) और “तार बिजली” (गैंग्स ऑफ वासेपुर) जैसे गाने शामिल हैं।

10. शारदा सिन्हा की विरासत क्या है?

शारदा सिन्हा ने अपने गीतों के माध्यम से भारतीय लोकसंगीत को नई ऊंचाई दी। उनकी आवाज़ और गीत हमेशा भारत की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा रहेंगे।

11. शारदा सिन्हा ने कुल कितने छठ गीत गाए हैं?

शारदा सिन्हा ने अपने करियर में कुल 62 छठ गीत गाए हैं, जो नौ एल्बमों में शामिल हैं।

12. शारदा सिन्हा के परिवार में कौन-कौन हैं?

शारदा सिन्हा के परिवार में उनके बेटे अंशुमान, बेटी वंदना, और उनके दिवंगत पति ब्रजकिशोर सिन्हा शामिल हैं।

13. शारदा सिन्हा का संगीत सफर कब शुरू हुआ?

शारदा सिन्हा ने अपने करियर की शुरुआत मैथिली लोकगीत गाने से की। उनकी आवाज़ ने उन्हें जल्द ही प्रसिद्धि दिलाई।

14. शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार कहां हुआ?

शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार 7 नवंबर 2024 को पटना में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया।

15. शारदा सिन्हा को पद्म विभूषण कब मिला?

शारदा सिन्हा को मरणोपरांत 26 जनवरी 2025 को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

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